समस्तीपुर, बिहार – जिले में हजारों लोगों के लिए जमीन की खरीद-बिक्री एक कठिन चुनौती बनती जा रही है। वजह है – जमीन पर लगी सरकारी रोक (Block List), जिसे हटवाने के लिए लोगों को महीनों तक सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
84 हजार से अधिक भूखंड रोक सूची में शामिल
जिले में वर्तमान समय में 84,000 से अधिक भूखंडों को निबंधन विभाग द्वारा रोक सूची में डाला गया है। इनमें सरकारी जमीन के अलावा वक्फ बोर्ड, केसर-ए-हिंद, तालाब, नाला, सड़क और अन्य विवादित भूखंड शामिल हैं। इस सूची में कई निजी भूमि भी गलती से जोड़ दी गई हैं, जिससे आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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रोक हटवाने के लिए अंचल से लेकर जिला स्तर तक दौड़
अगर किसी व्यक्ति की जमीन पर रोक लग जाती है, तो उसे अंचलाधिकारी, जिला पदाधिकारी, और निबंधन कार्यालय के बीच समन्वय स्थापित कर के संयुक्त बैठक के माध्यम से जमीन को क्लियर कराना पड़ता है। लेकिन यह प्रक्रिया बेहद जटिल और समय लेने वाली है, क्योंकि इन बैठकों के लिए कोई निश्चित समय तय नहीं है। आम तौर पर तभी बैठक होती है जब एक साथ दर्जनों मामले जमा हो जाते हैं।
रोक सूची की पारदर्शिता पर सवाल
सबसे बड़ी समस्या यह है कि रोक सूची सार्वजनिक नहीं है। इससे जमीन मालिक को यह तक पता नहीं चलता कि उसकी जमीन कब और क्यों सूची में आ गई। कई लोग वर्षों से उस जमीन पर रह रहे हैं, उसका लगान (भूमि कर) भी नियमित रूप से भरते हैं, फिर भी अचानक जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लग जाती है।
भुगत रहे हैं अनजाने में गलती की सजा
ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां लोगों ने पहले निबंधन करा लिया था, लेकिन जब उसे दोबारा बेचने की कोशिश की, तो पता चला कि जमीन पर रोक लगी है। अब वे निबंधन कार्यालय और राजस्व विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं। पुनः जांच की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें कई बार महीनों लग जाते हैं।
जिलास्तरीय बैठक में मामलों की सुनवाई
हाल की एक बैठक में करीब दो दर्जन मामलों की सुनवाई हुई। इनमें से डेढ़ दर्जन को क्लियर किया गया, जबकि कुछ मामलों को पुनः जांच के लिए लंबित रखा गया। इस प्रक्रिया की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसका कोई तय शेड्यूल नहीं है, जिससे मामलों का निपटारा टलता रहता है।
समस्या का समाधान क्या है?
विशेषज्ञों की मानें तो इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब—
- रोक सूची ऑनलाइन सार्वजनिक की जाए।
- जमीन मालिक को रोक सूची में शामिल करने से पहले सूचित किया जाए।
- प्रत्येक सप्ताह या पखवाड़े में निश्चित बैठक तिथि तय की जाए।
- ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से रोक हटाने के लिए आवेदन प्रक्रिया को सरल किया जाए।
क्या करें यदि आपकी जमीन पर रोक लगी है?
- सबसे पहले अपने खाता-खेसरा की जांच करें।
- राजस्व विभाग और निबंधन कार्यालय से संपर्क करें।
- सभी कागजात एकत्र कर अंचलाधिकारी को आवेदन दें।
- संयुक्त बैठक का इंतजार करें और पुनः जांच की प्रक्रिया में सहयोग करें।
📝 निष्कर्ष:
समस्तीपुर सहित बिहार के कई जिलों में भूमि पर रोक की प्रक्रिया आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन रही है। पारदर्शिता की कमी और सुस्त प्रक्रिया लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर रही है। अब जरूरत है एक स्पष्ट और ऑनलाइन सिस्टम की, जो आम जनता को इस झंझट से राहत दिला सके।