बिहार सरकार ने जमीन की खरीद-बिक्री में हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए भूमि निबंधन प्रक्रिया में बड़े बदलाव किए हैं। अब बिना सही जमाबंदी और दाखिल-खारिज के कोई भी जमीन की रजिस्ट्री नहीं करवा सकेगा। इन नियमों के लागू होने के बाद जमीन बेचने से पहले अपने दस्तावेजों को अपडेट करना बेहद जरूरी हो गया है।
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📝 क्या है नया नियम?
अब किसी भी भूमि की रजिस्ट्री से पहले जमाबंदी संख्या, जिल्द संख्या और पृष्ठ संख्या देना अनिवार्य कर दिया गया है। यानी, अब जमीन की खरीद-बिक्री तभी होगी जब वह जमीन सही तरीके से दाखिल-खारिज की गई हो और जमाबंदी रिकॉर्ड में दर्ज हो।
📌 नया सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि रजिस्ट्री से पहले ज़मीन का पूरा रिकॉर्ड अपडेट और सत्यापित हो।
👨👩👦👦 पुश्तैनी जमीन बेचने से पहले बंटवारा अनिवार्य
अब अगर आप अपनी पुश्तैनी ज़मीन बेचना चाहते हैं, तो सबसे पहले परिवारिक बंटवारा करना होगा। उसके बाद ही आप अपने हिस्से की जमीन की दाखिल-खारिज करवा पाएंगे, और फिर रजिस्ट्री की प्रक्रिया शुरू होगी। इस नियम से परिवार में जमीन विवादों में कमी आने की संभावना है।
✅ पुराना और नया खाता व खेसरा नंबर न होने पर रजिस्ट्री संभव नहीं।
💻 ऑनलाइन सिस्टम में भी बदलाव
राज्य सरकार ने अपने रजिस्ट्री विभाग के ऑनलाइन पोर्टल को अपडेट किया है। अब जब कोई व्यक्ति जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए आवेदन करेगा, तो सिस्टम सबसे पहले दाखिल-खारिज का नंबर मांगेगा। इसके बिना प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।
📚 इन बिंदुओं का ध्यान रखें:
- जिन लोगों ने तीन पीढ़ियों से दाखिल-खारिज नहीं कराया है, उन्हें सबसे पहले वंशावली प्रमाण पत्र बनवाना होगा।
- उसके बाद उसी आधार पर परिवारिक बंटवारा करें और जमीन का mutation (दाखिल-खारिज) करवाएं।
- पुराने मामलों में रजिस्टर टू में नाम दर्ज कराना अनिवार्य है।
🎯 नए नियमों का क्या फायदा होगा?
- ✅ फर्जी रजिस्ट्री पर पूरी तरह रोक लगेगी।
- 🤝 जमीन विवाद में कमी आएगी।
- 📄 हर व्यक्ति अपने हिस्से की ज़मीन ही बेच सकेगा।
- 📑 निष्पक्ष और पारदर्शी दस्तावेज़ीकरण से विश्वास बढ़ेगा।
📢 निष्कर्ष:
बिहार सरकार का यह कदम जमीन रजिस्ट्री प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण है। जो लोग जमीन खरीदना या बेचना चाहते हैं, उन्हें अब अपने दस्तावेज़ पहले से दुरुस्त करने होंगे, नहीं तो रजिस्ट्री की प्रक्रिया अधूरी रह जाएगी। यह नियम न सिर्फ जमीन के फर्जीवाड़े पर लगाम लगाएगा, बल्कि भविष्य में कानूनी विवादों से भी बचाएगा।
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