अब रैयतों की जमीन संबंधी समस्याएं होंगी खत्म – सरकार लगाएगी विशेष शिविर

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राज्य में जमीन से जुड़े लाखों रैयतों के लिए एक राहत भरी खबर है। ऑनलाइन जमाबंदी प्रक्रिया में आई त्रुटियों से परेशान लोगों के लिए अब सरकार ने बड़ी पहल की है। डिजिटाइजेशन के इस युग में रैयतों की समस्याओं का समाधान अब एक क्लिक दूर होगा, क्योंकि राज्य सरकार विशेष शिविर लगाकर जमाबंदी की अशुद्धियों को दूर करने जा रही है।

क्या है सरकार की नई योजना?

मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक जिले में विशेष कैंप लगाकर जमाबंदी रिकॉर्ड की त्रुटियों को सुधारा जाएगा। इसके लिए रजिस्टर-2 से मिलान कर डेटा को सटीक किया जाएगा। सभी समाहर्ताओं को निर्देशित किया गया है कि वे समयबद्ध तरीके से इन शिविरों का आयोजन करें और रैयतों को शीघ्र राहत दें।

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क्यों है यह जरूरी?

राज्य में भूमि सर्वेक्षण और पुनर्निर्धारण का कार्य जोरों पर है। ऐसे में रैयतों को अपनी जमीन का विवरण स्वघोषणा के माध्यम से देना होता है। लेकिन ऑनलाइन जमाबंदी में रैयतों के नाम, रकबा, खाता और खेसरा से जुड़ी भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। इन त्रुटियों के चलते आम लोगों को भूमि संबंधी प्रमाण-पत्र, ऋण और अन्य योजनाओं का लाभ लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

परिमार्जन एप से राहत नहीं, अब कैंप से समाधान

भले ही पहले सरकार ने परिमार्जन एप लांच कर सुविधा देने की कोशिश की थी, लेकिन यह आम लोगों के लिए अपेक्षित लाभकारी नहीं बन सका। अब जब यह काम विशेष कैंपों के माध्यम से किया जाएगा, तो लोगों को सीधे मौके पर जाकर सुधार कराने का बेहतर मौका मिलेगा।

चार बड़े फैसले और जो लाएंगे परिवर्तन

  1. ऑनलाइन जमाबंदी में अंतिम लगान का विवरण दर्ज होगा, जिससे रैयत सीधे ऑनलाइन माध्यम से लगान भुगतान कर सकेंगे।
  2. डिजिटाइजेशन के दौरान लॉक हुई जमाबंदियों को अनलॉक करने की प्रक्रिया शुरू होगी, जिससे लोग बार-बार अंचल कार्यालय या जिला मुख्यालय का चक्कर लगाने से बचेंगे।
  3. सरकारी भूमि की गलत एंट्री को मूल खतियान से मिलान कर दुरुस्त किया जाएगा, ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके।
  4. भू-माफियाओं की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भूमि विवादों में कमी आए।

भविष्य की दिशा – पारदर्शिता और सुविधा की ओर

यह पहल न सिर्फ रैयतों को राहत देगी, बल्कि राज्य में भूमि प्रबंधन व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाएगी। डिजिटाइजेशन का असली लाभ तभी मिलेगा जब जमीन से जुड़ी हर जानकारी सटीक और अद्यतन हो। सरकार की यह पहल निश्चित रूप से भूमि विवादों में कमी लाएगी और लोगों को उनकी जमीन से जुड़े अधिकारों की रक्षा करेगी।

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