बिहार में तेजी से हो रहा जमीन रिकॉर्ड का आधार से लिंकिंग, 31 मई तक पूरा करने का लक्ष्य

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बिहार में जमीन सर्वे और रिकॉर्ड सुधार का कार्य ज़ोरों पर है। राज्य सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा जमीन से जुड़े फर्जीवाड़े और विवादों को जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है। राजधानी पटना सहित पूरे राज्य में जमीन रिकॉर्ड्स को आधार से लिंक करने का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।

पटना में अब तक 13 लाख से अधिक रिकॉर्ड्स आधार से जुड़े

अगर पटना जिले की बात करें, तो अब तक करीब 13 लाख 25 हजार 956 लोगों के जमीन रिकॉर्ड्स को सफलतापूर्वक आधार कार्ड से लिंक कर दिया गया है। जबकि आवेदन 17 लाख से भी अधिक लोगों द्वारा किए गए थे। शेष रिकॉर्ड्स को जोड़ने का कार्य निरंतर जारी है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो अब बची हुई जमाबंदियों की गहन जांच चल रही है ताकि जल्द से जल्द सभी रिकॉर्ड्स को आधार से जोड़ा जा सके।

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कौन-कौन से क्षेत्र हैं सबसे आगे?

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पालीगंज और मसौढ़ी अंचल में लोगों ने सबसे अधिक सक्रियता दिखाई है। यहां के निवासियों ने बड़ी संख्या में अपने जमीन रिकॉर्ड्स को आधार से लिंक कराया है:

  • पालीगंज: 75,121 लिंकिंग
  • मसौढ़ी: 74,855 लिंकिंग
  • पुनपुन: 67,835 लिंकिंग
  • बांकीपुर: 59,380 लिंकिंग
  • धनरुआ: 57,840 लिंकिंग

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग इस अभियान के महत्व को समझते हुए तेजी से आगे आ रहे हैं।

31 मई तक सभी रिकॉर्ड्स लिंक करने का लक्ष्य

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने सभी अंचलाधिकारियों को आदेश जारी किया है कि जिन जमीनों की जमाबंदी पूरी हो चुकी है, उनके रिकॉर्ड्स को अनिवार्य रूप से आधार से लिंक किया जाए। विभाग ने इस महत्त्वपूर्ण कार्य को 31 मई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

ज्ञात हो कि भूमि मालिकों को अपने जमीन रिकॉर्ड्स आधार से जोड़ने के लिए अंतिम तिथि 20 अप्रैल तय की गई थी, जिसके बाद प्राप्त आवेदनों पर कार्य तेजी से किया जा रहा है।

जमीन रिकॉर्ड्स को आधार से लिंक कराना क्यों है ज़रूरी?

इस अभियान का सबसे बड़ा उद्देश्य जमीन से जुड़े फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी को रोकना है। जब जमीन रिकॉर्ड्स को आधार से जोड़ा जाएगा, तो:

  • किसी भी व्यक्ति द्वारा एक ही जमीन को बार-बार बेचने जैसी धोखाधड़ी पर प्रभावी रोक लगेगी।
  • यह पता चल सकेगा कि एक व्यक्ति के नाम पर कितनी संपत्ति दर्ज है।
  • संपत्ति से जुड़े विवादों में कमी आएगी और न्यायिक प्रक्रिया सरल होगी।
  • सरकारी योजनाओं और अनुदानों का लाभ सही भूमि मालिक तक पहुंचेगा।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, जिससे नागरिकों का सरकारी तंत्र पर भरोसा भी मजबूत होगा।

निष्कर्ष

बिहार सरकार का यह प्रयास न केवल जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि भविष्य में नागरिकों को उनकी जमीन संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति दिलाने में मील का पत्थर साबित होगा। अगर आपने अभी तक अपनी जमीन का रिकॉर्ड आधार से लिंक नहीं कराया है, तो जल्द से जल्द संबंधित अंचल कार्यालय में संपर्क करें और इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को पूरा करें।

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