Bihar Land Survey Issue : बिहार में अगस्त महीने में भूमि सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई थी ताकि जमीन से संबंधित आवश्यक दस्तावेज़ (प्रपत्र 2) आसानी से ऑनलाइन जमा किए जा सकें। लेकिन पिछले एक सप्ताह से भूमि अभिलेख और सर्वेक्षण निदेशालय (DLRS) की वेबसाइट ठीक से काम नहीं कर रही है। इस तकनीकी समस्या के कारण लोग अब सर्वे शिविरों में जाकर ऑफलाइन आवेदन जमा कर रहे हैं। दुर्भाग्य से, इन शिविरों में दलालों की भीड़ है, जो जमीन मालिकों से अधिक पैसे लेकर फॉर्म भरने में सहायता कर रहे हैं।
इस समस्या ने बढ़ते भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जहाँ दलाल जमीन मालिकों से त्वरित सेवा देने का वादा कर अधिक पैसे वसूल रहे हैं। हालाँकि ऑनलाइन DLRS से डिजिटल तरीके से फॉर्म जमा करने की सुविधा दी गई है, परन्तु उपयोगकर्ताओं को दस्तावेज़ अपलोड करते समय ‘Bihar Land Survey Issue’ जैसी त्रुटि संदेश मिल रही है। कई लोगों का मानना है कि वेबसाइट का डिज़ाइन इस प्रकार होना चाहिए था कि इसमें अधिक स्पेस हो ताकि यह समस्या न होती।
DLRS सर्वे वेबसाइट से जुड़ी समस्याएँ || Bihar Land Survey Issue
वेबसाइट की लंबी अवधि तक ठप रहने से उन नागरिकों पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ा है जिन्होंने शुरुआती आवेदन प्रक्रिया का लाभ नहीं लिया था। इससे लोग मजबूरन दलालों के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन करने लगे हैं, जो मोटी रकम वसूल रहे हैं। स्थिति इस हद तक पहुँच चुकी है कि नए नियुक्त किए गए अमीन और कानूनगो भी जमीन का सर्वे प्राथमिकता से करने का लालच देकर अधिक पैसा मांग रहे हैं।
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भूमि सर्वेक्षण वेबसाइट कब पुनः चालू होगी?
हाल के एक बयान के अनुसार, DLRS वेबसाइट 15 नवंबर से फिर से चालू की जाएगी। इसके बाद सभी आवेदक अपने फॉर्म और आवश्यक दस्तावेज़ पीडीएफ फॉर्मेट में अपलोड कर सकेंगे। इस बार, परिवार वंशावली प्रमाण पत्र जैसी जटिल कागजी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि पहले इस प्रक्रिया में स्थानीय प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर प्राप्त करने में लंबा समय लग जाता था। DLRS ने स्पष्ट किया है कि जमीन मालिक साधारण रूप से प्रमाणित वंशावली जमा कर सकते हैं, जिसके लिए न्यायालय प्रमाणन की जरूरत नहीं होगी।
भूमि सर्वेक्षण के लिए कानूनी आवश्यकताएँ
DLRS ने यह भी स्पष्ट किया है कि सामान्य आवेदन के लिए जमीन की रसीद जमा करना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, बटवारा संबंधी मामलों में अधिकृत कानूनी निकाय या अदालत से प्रमाण पत्र लेना जरूरी होगा। इससे अनावश्यक न्यायालय दौरे की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और अधिकांश आवेदनों के लिए आवश्यक दस्तावेज सरल हो जाते हैं।
निष्कर्ष
संक्षेप में, बिहार का भूमि सर्वेक्षण कार्यक्रम DLRS वेबसाइट की तकनीकी समस्याओं के कारण बाधित हुआ है, जिससे लोगों को ऑफलाइन शिविरों में दलालों का सहारा लेना पड़ा और भ्रष्टाचार बढ़ गया। वेबसाइट के 15 नवंबर को पुनः चालू होने की उम्मीद है, जिससे आवेदन प्रक्रिया सुगम और निष्पक्ष बन सकेगी। सरकार की प्राथमिकता इस प्रक्रिया को सभी आवेदकों के लिए सहज और पारदर्शी बनाना है।
यह लेख बिहार भूमि सर्वेक्षण की ऑनलाइन प्रक्रिया में आई तकनीकी समस्याओं और ऑफलाइन आवेदन के दौरान उत्पन्न भ्रष्टाचार पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। सरकार की योजना वेबसाइट को फिर से चालू करने से प्रक्रिया में सुधार की उम्मीद है। धन्यवाद!