बिहार सरकार ने जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया को आधुनिक और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब जमीन खरीदने और बेचने वालों को दस्तावेज़ों पर साइन करने की जरूरत नहीं होगी। इसके बजाय, बायोमेट्रिक निशान को ही डिजिटल हस्ताक्षर माना जाएगा।
✅ क्या है बिहार का नया ई-रजिस्ट्री सिस्टम?
बिहार राज्य में अब जमीन की रजिस्ट्री पूरी तरह से पेपरलेस और डिजिटल की जा रही है। क्रेता और विक्रेता दोनों के बायोमेट्रिक डाटा को ही उनकी सहमति का प्रमाण माना जाएगा। दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की आवश्यकता समाप्त कर दी गई है। यह प्रक्रिया न सिर्फ समय की बचत करेगी, बल्कि इससे भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आएगी।
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📍 शुरूआत कहां से हो रही है?
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने 22 अप्रैल से 10 अवर निबंधन कार्यालयों में इस नई व्यवस्था की शुरुआत की है। ये कार्यालय हैं:
- शेखपुरा
- जहानाबाद
- भोजपुर
- सोनपुर (सारण)
- पातेपुर (वैशाली)
- बाढ़
- फतुहां
- संपतचक (पटना)
- डेहरी (रोहतास)
- केसरिया (पूर्वी चंपारण)
इन जगहों पर अब जमीन की रजिस्ट्री पूरी तरह डिजिटल तरीके से की जाएगी।
🖥️ रजिस्ट्री प्रक्रिया में क्या-क्या बदलाव होंगे?
- अब जमीन की जानकारी, खरीदार-विक्रेता का विवरण और रजिस्ट्री से जुड़ी सभी बातें कंप्यूटर पर सीधे एंट्री की जाएंगी।
- क्रेता और विक्रेता दस्तावेज़ों का प्रिंट आउट देखकर संतुष्ट हो सकते हैं और जरूरत पड़ने पर बदलाव भी कर सकते हैं।
- दस्तावेजों की ई-कॉपी सीधे अधिकारियों तक पहुंचेगी, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
🔐 आधार से लिंक होगा सब कुछ
- क्रेता, विक्रेता, गवाह और पहचानकर्ता सभी की बायोमेट्रिक पहचान जरूरी होगी।
- आधार नंबर की एंट्री के बाद बायोमेट्रिक और OTP के ज़रिए सत्यापन किया जाएगा।
- यह पूरा प्रोसेस डिजिटल साइन की तरह काम करेगा।
🎯 क्या फायदे होंगे इस नए सिस्टम से?
- प्रक्रिया में तेजी और पारदर्शिता आएगी।
- जालसाजी और फर्जीवाड़े के मामलों में भारी कमी आएगी।
- आम नागरिकों को रजिस्ट्री कराने में कम समय और मेहनत लगेगी।
- सरकार की यह पहल डिजिटल इंडिया मिशन को भी मजबूती देती है।
निष्कर्ष:
बिहार सरकार की यह नई पहल जमीन रजिस्ट्री को न सिर्फ आसान बनाएगी, बल्कि आम जनता को धोखाधड़ी से भी बचाएगी। यदि आप बिहार में जमीन खरीदने या बेचने की सोच रहे हैं, तो अब आपके लिए यह प्रक्रिया और भी सुरक्षित और आसान हो गई है।
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